Ganesh Jayanti: माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जंयती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को माघ चतुर्थी, तिलकंड चतुर्थी, माघ विनायक चतुर्थी, वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश जी की पूजा किसी भी धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले की जाती है। गणेश चतुर्थी इस बार 4 फरवरी को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन व्रत करने और गणेश जी की पूजा, कथा सुनने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं, गणेश जयंती का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
गणेश जयंती का महत्व:
मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश (विनायक) का जन्म हुआ था। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। पुराणों में इस दिन के बारे में उल्लेख है कि जो कोई भी व्यक्ति इस दिन विधिवत तरीके से भगवान गणेश की पूजा अर्चना करता है उसे मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। साथ ही गणेश जयंती के व्रत, पूजा से संकटों का नाश होता है। इसके साथ ही इस दिन की व्रत और उपवास के प्रभाव से व्यक्ति के मनोविकार दूर होते हैं और समस्त समस्याओं का समाधान होता है।
गणेश जयंती पूजा और शुभ मुहूर्त:
चतुर्थी तिथि का प्रारंभ – 04 फरवरी, शुक्रवार, सुबह 04 बजकर 38 मिनट से
धार्मिक मान्यता है कि पूजा के दौरान गणपति को सिर्फ अक्षत और दूर्वा अर्पित करने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं और आशीर्वाद देते हैं। इसलिए पूजा में अक्षत और दूर्वा (घास) जरूर शामिल करें।
मान्यता है कि भगवान गणेश को पीला पुष्प और मोदक बेहद प्रिय हैं। इसलिए इस खास दिन उन्हें पीले पुष्प और मोदक (लड्डू) अवश्य भेंट करें।
शास्त्रों के अनुसार गणेश जी की कृपा पाने के लिए नियमित रूप से उन्हें दूर्वा अर्पित करें। इस बात का ध्यान रखें कि दूर्वा हमेशा गणेश जी के मस्तक पर ही चढ़ानी चाहिए। इससे गणेश जी बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
भगवान गणेश की निरंतर एकाग्रचित होकर पूजा करने से जीवन में धैर्य का आगमन होता है।